साइकिल पर पुरनपोली बेचते बेचते, बन गया करोड़पति

कर्नाटक के मूल निवासी श्री आर भास्कर ने कम आय वाले परिवार में कठिन बचपन बिताया।

बारह साल की आयु में ही काम करना शुरू किया, पहले होटल में वेटर के रूप में, और फिर आठ साल तक नृत्य सिखाने में लगे रहे। 

जीवन जीने का तरीका बदलकर पुराणपोली बेचकर अपने रोजगार की शुरुआत की।  व्यापार का विकास: - एक रसोई कार्यक्रम के पश्चात् पहचान बढ़ने लगी।

महाराष्ट्र और कर्नाटक में 400 से अधिक पुराणपोली घर की स्थिति है। पुराणपोली के अलावा 400 से अधिक नाश्ते प्रदान करता है।

– महीने में करोड़ों का राजस्व उत्पन्न करता है। सफलता का कुंजी: - भास्कर की सैगारता और आत्मविश्वास ने व्यापार को बढ़ाने में मदद की।