Lohri क्यों           मनाई जाती है

फसल का त्योहार: लोहड़ी उत्तर भारत में एक फसल का त्योहार के रूप में मनाई जाती है। इससे सर्दी का समाप्त होता है और दिनों की बढ़ती शुरुआत होती है।

 सूर्य पूजा: लोग सूर्य देव की पूजा के रूप में लोहड़ी का त्योहार मनाते हैं। बॉनफायर जलाना इसका प्रतीक है जिससे सूर्य से आशीर्वाद मांगा जाता है।

नए आरंभों का समय: लोहड़ी को नए आरंभों के लिए शुभ माना जाता है। इसमें परिवारों को समृद्धि और खुशियां लाने की आशा होती है।

सामाजिक उत्सव: लोहड़ी सामुदायिक एकता का समय होती है। लोग बॉनफायर के चारों ओर इकट्ठा होकर पारंपरिक गाने गाते हैं और नृत्य करते हैं।

भोज और मिठाई: लोहड़ी में खास भोजन जैसे तिल, गुड़ और मूंगफली खाया जाता है। गजक और रेवड़ी जैसी पारंपरिक मिठाइयां भी बाँटी जाती हैं।

सांस्कृतिक परंपरा:  लोहड़ी की गहरी सांस्कृतिक जड़ें हैं और इसे परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ मनाते हैं। यह आगे की पीढ़ियों को सांस्कृतिक मूल्यों और कहानियों का आदान-प्रदान करने का एक अवसर है।

 बॉनफायर रिटुअल: बॉनफायर जलाना लोहड़ी के उत्सव का केंद्रीय हिस्सा है। लोग तिल, पॉपकॉर्न, और अन्य चढ़ाव को आग में डालते हैं, जिससे आने वाले वर्ष के लिए आशीर्वाद मिले।

आशा का प्रतीक: लोहड़ी एक उत्साही और खुशहाल त्योहार है जो लोगों को प्रकृति, समुदाय, और आने वाले वर्ष की समृद्धि की उम्मीद के साथ एकजुट करता है।